रविवार, 27 सितंबर 2009

नमस्ते इंडिया..एक नयी शुरुआत..

गत दिनों मैं टोकियो में आयोजित नमस्ते इंडिया गया था. वहां वेदान्त सोसाइटी ऑफ़ जापान की एक प्रदर्शनी लगी थी. इसमें स्वामी विवेकानंद के जापान में किये कार्य को चित्रित किया गया था. स्वामीजी यहाँ पर 1893 में आये थे, और उन्होंने जापानी लोगो और भारतीय में बहुत समानता देखी. सबसे बड़ी चीज़ थी, ईमानदारी, जो शायद उस समय भारतीय लोगों में भी बहुत ज्यादा थी.

प्रदर्शनी में, एक स्वामीजी "Swami Vivekananda and Japan" नामक किताब सबको दे रहे थे. यह किताब या तो जापानी या फिर अंग्रेजी में थी. मैंने ऐसे ही मजाक से पूछ लिया, स्वामीजी, स्वामीजी हिंदी में बोलते थे, और किताब हिंदी में ही नहीं है.
उन्होंने जवाब दिया हाँ होना चाहिए, तो आप ही लिखो.

मुझे यह बात दिल पर लग गयी, सच में, हम सभी हर बात के लिए बस बोलते रहते हैं, ये नहीं है, वो नहीं है, ऐसा नहीं हो रहा, वैसा नहीं हो रहा. बस हम सब करते नहीं है.

मुझे लगा कम से कम मैं ब्लॉग में तो यह सब अनुभव लिख ही सकता हूँ, मैं इस संस्था से जुड़ना चाहता हूँ. मैं एक छोटी सी शुरुआत कर रहा हूँ, इस किताब को पढ़कर, इस बारे में जो कुछ भी होगा आपके साथ इस ब्लॉग के जरिये प्रस्तुत करता रहूँगा.

एक भारतीय

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